AISCSA का पत्र माननीय सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका के रूप में दर्ज

AISCSA द्वारा देश के अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों की साझा समस्याओं के निस्तारण हेतु प्रेषित पत्र की विषयवस्तु
1.प्रस्तर क्रमांक 2 में स्थानांतरण की समस्या को दर्शाया गया है जिसमें माननीय मुख्य न्यायाधीश जी से यह याचना किया गया है कि कर्मचारियों को उनके गृह जनपद अथवा गृह जनपद वाले मंडल में रखा जाए.
2. प्रस्तर क्रमांक 3 में यह याचित किया गया है कि न्यायालय में कंप्यूटर का कार्य अत्यधिक बढ़ जाने के कारण प्रत्येक न्यायालय में एक कंप्यूटर स्टाफ उपलब्ध कराया जाए.
3.प्रस्तर क्रमांक 4 में यह याचना किया गया है कि नवनियुक्त कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से प्रशिक्षण प्रदान कराया जाए प्रशिक्षण करा लेने के पश्चात ही उनको किसी भी अनुभाग में नियुक्त किया जाए
4. प्रस्तर क्रमांक 5 में यह याचना की गई है कि लोक अदालतों से सरकार को अत्यधिक राजस्व प्राप्त होता है यह राजस्व जुर्माना के रूप में प्राप्त होता है अतः लोक अदालत में कार्य करने वाले कर्मचारियों को भी इसका पारिश्रमिक अलग से मिलना चाहिए.
5. प्रस्तर क्रमांक 6 में यह याचना की गई है कि कर्मचारियों को प्रोन्नति उनके नियत समय पर मिल जाए क्योंकि अधिकतर जनपदों में यह होता है कि प्रोन्नति समय से नहीं की जाती जिसकी प्रतिपूर्ति संभव नहीं है.
6.प्रस्तर क्रमांक 7 में यह याचना की गई है कि कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या में से एक निश्चित प्रतिशत पदों को राजपत्रित घोषित कर दिया जाए.
7.प्रस्तर क्रमांक 8 में यह याचना किया गया है कि महिला कर्मचारियों हेतु आवश्यक आधारभूत सुविधाएं न्यायालय परिसर में उपलब्ध कराई जाएं.
8.प्रस्तर क्रमांक 9 में अधीनस्थ न्यायालय के तृतीय श्रेणी कर्मचारियों को चिकित्सा भत्ता प्रदान करने के बारे में याचना की गई है.
9. प्रस्तर क्रमांक 10 में यह याचना की गई है कि न्यायिक अधिकारियों की भांति अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों को भी अवकाश नकदीकरण की सुविधा प्रदान की जाए.
10.प्रस्तर क्रमांक 11 में यह याचना की गई है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का ड्यूटी ऑवर निश्चित कर दिया जाए और इस ड्यूटी ऑवर के पश्चात उनको बंगले पर कार्य करने के लिए न बुलाया जाए.
11. प्रस्तर क्रमांक 12 में यह याचना की गई है कि न्यायालय कर्मचारियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में प्रत्येक हाईकोर्ट स्तर पर एक ग्रीवांस रिड्रेसल सेल का गठन हो* जिसमें कर्मचारी भयमुक्त होकर अपनी बात कह सकें.
12.प्रस्ताव क्रमांक 13 में यह याचना की गई है कि कंप्यूटराइजेशन के चलते समस्त डाटा एनडीजीसी के डेटाबेस में उपलब्ध है और न्यायालय माननीय उच्च न्यायालय द्वारा आयेदिन स्टेटमेंट की मांग की जाती है जबकि यह सुविधा वह डेटाबेस में उपलब्ध है और वे इसका उपयोग स्वयं कर सकते हैं.ऐसी स्थिति में लोअर कोर्ट से विवरण मंगाने की कोई आवश्यकता नहीं है इसको बंद किया जाए.
13. प्रस्तर क्रमांक 14 में यह याचना की गई है कि न्यायालय कर्मचारियों को दो विंग में विभाजित कर दिया जाए, प्रशासनिक विंग और न्यायिक विंग. इसमें सभी कर्मचारियों को बारी-बारी से कार्य करने का अवसर मिले.
नोट:- इस पत्र में वेतन संबंधी किसी भी मांग को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि वेतन आदि के संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में हमारी रिट/आई.ए.लंबित चल रही है.
डा.अनुराग श्रीवास्तव
राष्ट्रीय अध्यक्ष- अखिल भारतीय अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारी संघ(AISCSA)

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