संगठन के संज्ञान में यह तथ्य आया है कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन होने के बावजूद न्यायालय कर्मचारियों को केवल पीरियॉडिक स्टेटमेंट बनाकर भेजने एवं केसेज की डेट फारवर्डिंग करने के लिए जान जोखिम में डालकर न्यायालय बुलाया जा रहा है!!
क्या केसेज की डेट फारवर्डिंग करना और आवधिक स्टेटमेंट तैयार करना अधीनस्थ कर्मचारियों की जान से ज्यादा जरूरी है ?
मैं सभी राज्य संगठनों से अनुरोध करता हूँ कि वो अविलंब मा.उच्च न्यायालय को इस आशय का पत्र प्रेषित करें कि…
1. डेट फारवर्ड करने के लिए ई कोर्ट सर्विसेज एप में अविलंब संशोधन हो।
2. लॉकडाउन खुलने तक रिमांड का कार्य रिमांड मजिस्ट्रेट के आवासीय कार्यालय से सम्पन्न हो.
निवेदक-
डा.अनुराग श्रीवास्तव
कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष
AISCSA