आदरणीय साथियों,*अवर न्यायालय सहित हाई कोर्ट के कर्मचारियों को राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग में शामिल करने के लिए दाखिल याचिकाओं के निस्तारण के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक विशेष बेंच का गठन किया गया है।* इसका आदेश पॉजिटिव ही आना चाहिए.राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग में शामिल होने से हमें एक समान वेतनमान और वो भत्ते मिल सकेंगे जो राज्य कर्मचारी होने के कारण नहीं मिल पाते.पुरानी पेंशन की बहाली उनमें से एक प्राप्त होने वाली सुविधा है क्योंकि जज को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया गया है।
*एक विभाग दो विधान* नही चलेगा.
वास्तविकता यह है कि *हम न तो पूरी तरह राज्य कर्मचारी हैं और न ही हाई कोर्ट कर्मचारी* !! हम त्रिशंकु की तरह है जिसके चलते हमारी न्यायोचित मांगों को लटकाया जाता है।सरकार और हाई कोर्ट एक दूसरे के पाले में गेंद फेंकते रहते है।
हमारी वेतन भत्तों के प्रकरणों को रेड्डी आयोग या किसी अन्य आयोग को रेफर करने पर आयोग के समक्ष समस्त तथ्य विस्तारपूर्वक रखे जाएंगे.साथ ही साथ शेट्टी आयोग की संपूर्ण सिफारिशों को अबतक भारत के किसी भी राज्य में अबतक पूरी तरह लागू न हो पाने और हाई कोर्ट्स में अनुपालन हेतु दाखिल लंबित याचिकाओं को भी रखते हुए *केंद्रीय कर्मचारी का दर्जा प्रदान* किए जाने को मांग बेहद प्रभावशाली ढंग से रखी जाएगी.हमारी अधिकतर समस्याओं का हल केंद्रीय कर्मचारी का स्तर प्राप्त होने पर स्वत: हो जाएगा.
अखिल भारतीय अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारी संघ अपने सम्मानित सदस्यों के चतुर्दिक एवं समग्र विकास हेतु कृतसंकल्पित है.
*जय संगठन*
*डॉक्टर अनुराग श्रीवास्तव*
*राष्ट्रीय अध्यक्ष*
*अखिल भारतीय अधीनस्थ न्यायालय कर्मचारी संघ* (AISCSA)